तुम सागर, उग्र, बंधन से मुक्त होने को आतुर, हरपल प्रवाहित होते, द्वंद की लहरें उठाते .. मैं पोखर, शांत, सीमित संयमित बंधी हुई, ठहरी एक जगह, सीमाओं के मोहपाश में.. एक सागर का खारापन एक पोखर का दूषित जीवन.. क्यों न नदी हो जाएं हम ! सीमित होकर भी प्रवाहित, प्रवाहित होकर भी संयमित ... #yadidi #रिश्ते #बंधन #सागर #पोखर #नदी