इश्क किया था तुमसे इन्कार नहीं करूँगा टूटेगा गुरूर इक दिन इज़हार नहीं करूँगा सोचूँगा तुम्हें सुबह से फरियाद यही करूँगा साँसों में बसा लिया है फिर याद नहीं करूँगा नेकियाँ खरीदी हैं हमनें ख़ुद को गवाँ दिया है जो रह गया है बाकी वो हिसाब नहीं करूँगा... © abhishek trehan 🎀 Challenge-429 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 🎀 कोरा काग़ज़ पर प्रतिदिन दोपहर 3 बजे "मस्ती की पाठशाला" होती है और शाम 5 बजे "उर्दू की पाठशाला" होती है। आना न भूलना।