मुखड़े पर "धूल" लगी माना, "माथा" फूटा माना, लेकिन' गालों पर' "थप्पड़" खाये हैं, 'जबरा "टूटा" माना, लेकिन 'माना की "सांसें" "उखड़" रही और' "धक्का" लगता "धड़कन" से' लो "मान" लिया की "कांप गया" है 'पूर्ण बदन "अंतर्मन" से, पर' "आंखों" से अंगारे' मै, "नथुनो" से तूफा' लाऊंगा, मैं' गिर-गिर कर भी "धरती" पर 'हर बार "खड़ा" हो' जाऊंगा, "मुट्ठी" मैं भींच लिया तारा, तुम नगर में "ढोल" बजा दो "जी" ,कि "अंधेरे" हो लाख, "घने" पर "अंधेरे" अंत, नहीं ! गिर जाना "मेरा" अंत, नहीं ! "गिर" जाना "मेरा" अंत, नहीं !.... ©Bisleri TARUN #गिर जाना मेरा #अंत #नहीं गिर जाना मेरा अंत नहीं #indianwirters #Shayari #writerscommunity #writershakti #writersloves #thisIsAReality #scientistwriter