उसे छू कर,घूर कर, ताक कर बन गए तुम बहुत बड़े धुरंदर, वो बहन है, बेटी है, जो भी है गर नहीं कर रही विरोध, तो सोचो की वो मासूम है, बलात्कार करते हो तुम आँखो से, हाथों से, गंदे स्पर्श से, कैसे तुम्हे नींद आती है फिर चैन की, छुपे होते है ये मुल्जिम घरों मे, परिवार मे ही कहीं, जो करते हैं रिश्तों को तार-तार, कभी डर जाती है वो मासूम बताने मे, कभी सिहर जाती है अकेले मे, कभी कोई नासमझ समझ ही नहीं पाती की ये स्पर्श भी है गलत, कहाँ और किसकी गलती रह गयी, हाँ संस्कारो की, रिश्तों के मायने समझने की, किस उम्र मे क्या सही है, धर्म संस्कृति का कोई ज्ञान नहीं हैं!! बस यही कमी है, इसीलिए सुरक्षित रखना है ये समाज, बचा के रखने है गर बच्चे,तो किताबी ज्ञान ही नहीं , रिश्तों की मर्यादा भी सिखाओ, बच्चों को सही स्पर्श और गलत स्पर्श से बिना किसी संकोच के अवगत कराओ!! ©Asmita Singh #awareness #goodtouch #badtouch