#धीरे_धीरे बिखर गए,रंग #इंद्रधनुष के। "नज़ारा" नज़रों में रहा बहुत देर तक़। #धीरे_धीरे "वक़्त" गुज़रता गया हाथों से, आदमी "ख्यालो" में रहा बहुत देर तक। अभी भी वक़्त है "हक़ीक़त" में आने का, "कोशिश" करो सुबह से शाम होने तक।