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प्रिया मन  की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस

प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,
अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे ।

क्योँ   जाने   सपनोँ   मेँ   मेरे,
अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है ।

यौवन  की मधुमास छबीली ,
तू महफिल की,शाम नशीली ।

तेरा सुन्दर  रूप  सलौना ,
मेरे मन को क्योँ भाता है ।

काले-काले   केश    घनेरे ,
चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे ।

ऐसी मोहक छटा अनूठी ,
मेरे  मन को सरसाता है ।

ले0 यशपाल सिँह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,
प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,
अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे ।

क्योँ   जाने   सपनोँ   मेँ   मेरे,
अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है ।

यौवन  की मधुमास छबीली ,
तू महफिल की,शाम नशीली ।

तेरा सुन्दर  रूप  सलौना ,
मेरे मन को क्योँ भाता है ।

काले-काले   केश    घनेरे ,
चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे ।

ऐसी मोहक छटा अनूठी ,
मेरे  मन को सरसाता है ।

ले0 यशपाल सिँह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,