मैं फिर भी तुमको चाहूँगा, मेरे प्रेम का अर्थ अर्धलेखा था वो पल आज भी याद है जब तुझे पहली दफा देखा था समय की माँग थी जो चाहा मिल ना सका लेकिन बादलो से कहां जुदा हुई है दिवानी घटा उम्मीद नही थी कुछ ऐसा घटेगा ये समन्वय अचानक मिटेगा पता नही सच है या भूलेखा था दिन तो वो भी कीमती था जब तुझे आखिरी दफा देखा था कभी मैं याद आऊं या तेरे किसी काम आऊं तो परमार्थ होगा मेरे अधूरे प्रेम का किस्सा तभी सार्थ होगा CAPTAIN HARSHIT KUMAR SAINI