Travel आज लो सारे फ़साने आपको मैं सौंपता हूँ। फि़र भी खा़ली हूँ कहाँ मैं? दर्द को जब रोपता हूँ।। टीस की नवबेल में फि़र याद के फ़ल जब लगेंगे। फि़र कहीं पर मैं मिलूँगा-- आप होंगे सोचता हूँ।। , : अनुपम त्रिपाठी @anupamtripathi " मुक्त कंठ अम्बर "