अफसोस कि, कोई कमीं सी थी कभी जीने में पर,,,,,पता नहीं क्यों तब मुझे ये अहसास भी हुआ था, तूझे पता आज भी है या नहीं,, चूँकि, ये तब भी नहीं जान सका था,, .....................और, ये राज तो तेरी इन आंखों में, मुझे तो अब तलक भी कहीं भी नहीं दिख रही,।। जाना ही है, तो मिलकर इस कदर इठला कर क्यों चलते हो,,, पर, देखना ,, एक हिदायत है मेरी ,,, कि , कहीं वो,, तेरे भी साथ ऐसा न करदे जैसा तूम , मेरे ही साथ कर बैठे हो.......... कब का ही ,, ,,,, ।। ।।। ©Captain Priyanshu #bateinhakikatzindagiki Astha Raj Dhiren