कोई नहीं चाहता बंधन
कोई नहीं चाहता बंधना, परवारिक बन्धन में
फटी जीन्स से फटे हुए से, रिश्ते है फैशन में
छोड़ ओढ़नी गयी लाज का पहरा फैशन मारी
अब शादी और त्योहारों पर ही दिखती है साड़ी
वो भी नाभि, कटि दर्शना, बस नितंब पर अटकी #Hindi#poem#dilse#tereliye