क्या हमने रिश्तों की बीज, बंजर मिट्टी में बोई थी, कुछ ही दिन तो हुआ है इतने प्यार से बोया था, लगता है कंही इसकी सिचाई, और देख भाल में कमी हो गई, वरना रिश्तों के अंकुर निकल कर, रिश्तों के अंकुर सूखने नही लगता, बात बात पे मुर्झा नही जाता। मैं यूँही अकेले नही रह जाता क्या हमने रिश्तों की बीज, बंजर मिट्टी में बोई थी, #Rishto_ki_beej