#कुछ अलफाज़ #माँ के नाम# क्यो तु इतनी परवाह करती है आज तक कभी जान नही पाया हु ! तेरे साये मे खुद तो मेहफूज़ पाता हु, हाँ तेरी परवहा ने मुझे थोड़ा लापरवहा बनाया है, जब भी कभी हारा हु, तुने मुझे सम्भाला है, जब भी कभी लड़खड़या हु, तुने मुझे गिरने से बचाया है, कभी हारा हु तो तुने मेरा हौसला बढा़या है, कुछ हुआ मुझे तो मैने खुद को तेरी दुआओ मे पाया है, चोट लगी मुझे तो आसू तेरी आखँ मे आया है