मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन गाँवव। तोर आसीस से अतका मैं बल बुद्धि पावव। तोर हरियर चुनरी ला अऊ हरियर कर जावव। हरेली म खेलों गेड़ी,बइला पोरा म दउड़ावव। जब आवये आठे तोर मैं किसना बन जावव। मोर भुइयां, मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर वो,महतारी तोर अचरा के छाँव। तोर माटी मोर माथा के टिका बन जावय। तोर आघू सब्बो सुख मन फीका पड़ जावय। सौभाग दे अइसन "आदित्य" छितिज तक जावय। छत्तीसगढ़ और गढ़िया दुनियां म नाम कमावय। मोर भुइयां,मोर मइया, मैं बंदो तोर पाँव। बड़ सुघ्घर महतारी तोर अचरा के छाँव। मैं अब्बड़ हों भागी,इहाँ जनम धरे आँव। हे सपना,जिनगी भर बस तोरे गुन गाँवव। तोर आसीस से अतका मैं बल बुद्धि पावव। तोर हरियर चुनरी ला अऊ हरियर कर जावव। हरेली म खेलों गेड़ी,बइला पोरा म दउड़ावव।