निकल जाते हैं वे जहां झूठे दरबार होते हैं एक लुहार की कहते हैं जो ईमानदार होते हैं . अल्फ़ाज़ तीखे दौड़ाते हैं मीठी सड़क पे बेहतरीन होते हैं वो जो फनकार होते हैं . बहस मुसाहिबों में न करते हैं वक़्त जाया मुस्कुरा के मुद्दे हैं जीते जो शानदार होते हैं . दोस्त बना करते हैं सफ़र वो ज़िंदगी का मंज़िल हो जाते हैं जो जां निसार होते हैं . ईमान पहनते ओढ़ते बिछाते है जिगरवाले असूल महकते हैं उनके जो खुशबूदार होते हैं . धीर भी हुआ करता है उनमें से फख्र है सहरा में भी ऐसे शख्स गुलज़ार होते हैं . ईमानदार