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#OpenPoetry सुष'माँ' छोड़ के हिन्द को अब स्वर्ग मे

#OpenPoetry सुष'माँ'

छोड़ के हिन्द को अब स्वर्ग में हैं सुष'माँ'।
हिन्द के हर लाल की एक माँ थीं सुष'माँ'।
एक भी गुहार  गर  विदेश थी आ गई तो।
संभव  हर मदद को पहुचती  थी सुष'माँ'।
राजनीति  में  नया तब  नाम थी  सुष'माँ'।
साफ दिल ईमान की पहचान थीं सुष'माँ'।
ऐसी  क्या जरूरत थी  स्वर्ग  में आ पड़ी।
हिन्द की  शान जो  स्वर्ग में  गईं  सुष'माँ'।
स्वराज जिनका नाम वो नाम थीं सुष'माँ'।
भाजपा की शान पहचान भी थीं सुष'माँ'।
खुद की  आवाज से  सजाये  रखा सदन।
अब ब्रह्मलोक को सजा रहीं  है  सुष'माँ'।
मंत्रिपद से अपने  बढ़ाया नाम मुल्क का।
विपरीत  परिस्थिति  में परिचय  धैर्य का।
क्या कहूँ की कितने कम शब्द हैं मेरे माँ।
बस है नमन तुम्हे इस छोटे से शिवम का। Mukesh Poonia Internet Jockey Lafz-e-faridi  Fateh Chauhan Balakrishna #poetrypoem
#OpenPoetry सुष'माँ'

छोड़ के हिन्द को अब स्वर्ग में हैं सुष'माँ'।
हिन्द के हर लाल की एक माँ थीं सुष'माँ'।
एक भी गुहार  गर  विदेश थी आ गई तो।
संभव  हर मदद को पहुचती  थी सुष'माँ'।
राजनीति  में  नया तब  नाम थी  सुष'माँ'।
साफ दिल ईमान की पहचान थीं सुष'माँ'।
ऐसी  क्या जरूरत थी  स्वर्ग  में आ पड़ी।
हिन्द की  शान जो  स्वर्ग में  गईं  सुष'माँ'।
स्वराज जिनका नाम वो नाम थीं सुष'माँ'।
भाजपा की शान पहचान भी थीं सुष'माँ'।
खुद की  आवाज से  सजाये  रखा सदन।
अब ब्रह्मलोक को सजा रहीं  है  सुष'माँ'।
मंत्रिपद से अपने  बढ़ाया नाम मुल्क का।
विपरीत  परिस्थिति  में परिचय  धैर्य का।
क्या कहूँ की कितने कम शब्द हैं मेरे माँ।
बस है नमन तुम्हे इस छोटे से शिवम का। Mukesh Poonia Internet Jockey Lafz-e-faridi  Fateh Chauhan Balakrishna #poetrypoem