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ए ज़िन्दगी ... तू अपने पेच-ओ-ख़म की रूदाद सुनाती रह

 ए ज़िन्दगी ...
तू अपने पेच-ओ-ख़म की रूदाद सुनाती रह
 मैं अपनी रौ में ग़ज़ल कहता रहूंगा
तू बेज़ार है तो होती रहे
मेरा काम है मोहब्बत 
मैं तुझसे इश्क़ करता रहूंगा
     Musings -29/12/18
 ए ज़िन्दगी ...
तू अपने पेच-ओ-ख़म की रूदाद सुनाती रह
 मैं अपनी रौ में ग़ज़ल कहता रहूंगा
तू बेज़ार है तो होती रहे
मेरा काम है मोहब्बत 
मैं तुझसे इश्क़ करता रहूंगा
     Musings -29/12/18