रंग रुप वेष भाषा चाहे अनेक हैं, हिंन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं। वेला गुलाब जुही चंपा चमेली प्यारे-प्यारे फुल गुंथे माला में एक हैं। हिंन्द देश के निवासी सभी जन एक है। (लेखक-विनयचंन्द्र मोदग्लय) #हिंन्द देश के निवासी सभी जन एक है। लेखक-विनयचंन्द्र मोदग्लय। ये गीत बचपन में विद्यालय और दूरदर्शन में नियमित सुनने को मिलता था। अब तो शायद ही सुनने को कही मिलती है।