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नज़र-नज़रिये की बात है- पहला जिससे हम खुद को देखते ह

नज़र-नज़रिये की बात है- पहला जिससे हम खुद को देखते हैं, दूसरा जिससे हमें दुनिया देखती है लेकिन 
बात जब एक लड़की की होती है,
नज़रों की नियती ज़रा बदल-सी जाती है।

आओ उन नजरों का ज़रा विश्लेषण करते हैं
चलो ये कार्य भी उस लड़की को ही सौंप चलते हैं
सुनने को तैयार रहना विश्लेषण भरी कहानी
उस लड़की की कहानी, उसकी ही ज़ुबानी
(Read in Caption)
     दर्पण के सम्मुख होकर पूछती है मेरी आँखें
कौन हो तुम, क्या आई हो सबको बताने ?
बड़ी मुश्किलों के बाद मैंने मौन तोड़ना सोचा है
बहुत चुप रही अब मन ने मुझे आवाज़ उठाने को कचोटा है
प्रतिक्षाओं के बाद चल करती हूँ अब ऐलान
आखिर क्या है मेरा नाम, किससे है मेरी पहचान ?

घृणित कार्य व दुराचार का प्रमाण हूँ मैं
नज़र-नज़रिये की बात है- पहला जिससे हम खुद को देखते हैं, दूसरा जिससे हमें दुनिया देखती है लेकिन 
बात जब एक लड़की की होती है,
नज़रों की नियती ज़रा बदल-सी जाती है।

आओ उन नजरों का ज़रा विश्लेषण करते हैं
चलो ये कार्य भी उस लड़की को ही सौंप चलते हैं
सुनने को तैयार रहना विश्लेषण भरी कहानी
उस लड़की की कहानी, उसकी ही ज़ुबानी
(Read in Caption)
     दर्पण के सम्मुख होकर पूछती है मेरी आँखें
कौन हो तुम, क्या आई हो सबको बताने ?
बड़ी मुश्किलों के बाद मैंने मौन तोड़ना सोचा है
बहुत चुप रही अब मन ने मुझे आवाज़ उठाने को कचोटा है
प्रतिक्षाओं के बाद चल करती हूँ अब ऐलान
आखिर क्या है मेरा नाम, किससे है मेरी पहचान ?

घृणित कार्य व दुराचार का प्रमाण हूँ मैं