थाम लो हाथ मेरा, इससे पहले के परछाई हो जाऊँ महफ़िल हूँ मैं, मग़र डर है न कहीं तन्हाई हो जाऊँ अँधेरा होने को है,चल दो उसपे मुझ तक जो राह चले साँसों की हो अदला बदली, मैं तेरी फ़िदाई हो जाऊँ देखते हो सौ नज़ारा, देखलो सनम मुझको कभी तू जो नज़रभर देखे मुझको, शर्म-ए-रानाई हो जाऊँ सुनो,पाने खोने पर कहाँ तक ज़ोर चलेगा मेरा तेरा जब तक लिखा है साथ रहना, मैं आशनाई हो जाऊँ ढल रहा है तन बदन , मन में शाम भी होने को है आओ,इससे पहले के मैं कहानी कोई आई गई हो जाऊँ ♥️ Challenge-970 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।