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..............घुसपैठिया............ सबका अपना बन स

 ..............घुसपैठिया............
सबका अपना बन सबको छलता है वो.
दिल के किसी कोने में बैठ,दिलों को भेद देता है वो
बात का बतंगड़ बना,नुमाइशें करता है
ये वो शक्स है जो घर-घर की टोह लेता है
सबके सामने होकर भी अदृश्य रहता है
सबका चहेता बन सबके दिलों में बसता है
पर उसके दिल में कहाँ कौन बसताहै
 ..............घुसपैठिया............
सबका अपना बन सबको छलता है वो.
दिल के किसी कोने में बैठ,दिलों को भेद देता है वो
बात का बतंगड़ बना,नुमाइशें करता है
ये वो शक्स है जो घर-घर की टोह लेता है
सबके सामने होकर भी अदृश्य रहता है
सबका चहेता बन सबके दिलों में बसता है
पर उसके दिल में कहाँ कौन बसताहै
parulsharma3727

Parul Sharma

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