किताबों के साथ वक्त को गुजारा करो दोस्त हर समय मिल रहे तानों से न हारा करो दोस्त, देखना जब मंजिल मिलेगी सबसे खूबसूरत लगोगे तुम इन छोटी-छोटी बातों को दिल पर न उतारा करो दोस्त हां , संघर्ष के समर प्रांगण में अकेले अभी हो तुम पर पराजय वाले शब्दों से तुम नकारा करो दोस्त विजयी होकर लौटोगे तुम्हारा भाल चमकेगा, मंजिल पाकर देखोगे तुम्हारा काल बदलेगा तुम्हारे काल परिवर्तन से तुम्हारा शीर्ष शिखर होगा, भाल चमकेगा तुम्हारा मुखमंडल प्रखर होगा, पर अभी ध्यान दो इस बात पर तुम हारा न करो दोस्त परिस्थिति बदलेगी जरूर पर खुद को उजाड़ा न करो दोस्त! ©पूर्वार्थ #किताबेंऔरहम