मानवता को न शर्मशार करो , --------@------------------@ मानव हो तो , मानव से प्यार करो मानवता को न , शर्मशार करो ! पशु भी चलता है अपने समूह में, पशुता से पतित , न व्यवहार करो तेरा -मेरा ,न इसकी ,न उसकी बात करो, करना हो तो , देशप्रेम की बात करो ! आओ वेदो की ओर लोटे , धर्म- कुरान की बात करो ! ईश्वर- अल्लाह , पिता -परमेश्वर बसता मानव मन में , विश्वाश करो कुछ तुम बताओ, कुछ हम सीखे प्रेम-मोहब्बत की ऐसी बात करो ..!! ---- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #मानवता#को#न#शर्मशार#करो , --------@------------------@ मानव हो तो , मानव से प्यार करो मानवता को न , शर्मशार करो ! पशु भी चलता है अपने समूह में, पशुता से पतित , न व्यवहार करो