चले थे कारवां लिए, रास्ता नापा अकेले हमने रुक रुक विरह मेरे राम वनवास तोड़ आए ना हलाहल वो ज़माने का मन मसोस कर पीते रहे जिंदगी की खरीद फरोख्त हम बस लूटाते रहे दिन-रैन पहर का भेद भूल हां खुद को भी भूले ले जाओ कसक इस भीड़ की पीड़ से बचाओ वक्त रहते मौसमों के फेरबदल आदि बने जा रहे चेहरे पर चेहरा आंसू हंसी अब सूखते जा रहे हैं अकाल विरक्त सी दुल्हन सा कोमल ह्रदय संभालें चले कहां थे, जाने कहां हम चल कर आ गये हैं! चले थे कारवां लिए, रास्ता नापा अकेले हमने रुक रुक विरह मेरे राम वनवास तोड़ आए ना हलाहल वो ज़माने का मन मसोस कर पीते रहे जिंदगी की खरीद फरोख्त हम बस लूटाते रहे दिन-रैन पहर का भेद भूल हां खुद को भी भूले ले जाओ कसक इस भीड़ की पीड़ से बचाओ वक्त रहते मौसमों के फेरबदल आदि बने जा रहे चेहरे पर चेहरा आंसू हंसी अब सूखते जा रहे हैं