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वक्फा बीत गया, हाथ ना बढ़ाया तूने, कोई इल्ज़ाम लग

वक्फा बीत गया, हाथ ना बढ़ाया तूने, 
कोई इल्ज़ाम लगाकर, मुझ पर ऊँगली ही उठा दो, 

तेरी महफ़िल में आया हूँ तेरा मुरीद बनकर, 
तुम मुझे अपना रकीब ही बता दो, 

मेरी शायरी सुन सुर्ख लाल हुए जाते है तेरी सहेलियों के गाल, 
मेरे ज़िक्र पर तुम, थोड़ा सा तो मुस्कुरा दो, 

अब टकटकी लगाये क्या देखते हो, 
जो रौनक बन गया हूँ इस शाम की, 

गर तुम्हे भी मोहब्बत है, 
तो इन पलकों को झुका दो, 

गर तुम्हे भी मोहब्बत है, 
तो इन पलकों को झुका दो.... #पलक
#वक्फा बीत गया, हाथ ना बढ़ाया तूने,
कोई इल्ज़ाम लगाकर मुझ पर, ऊँगली ही उठा दो, 
तेरी महफ़िल में आया हूँ तेरा मुरीद बनकर, 
तुम मुझे अपना रकीब ही बता दो, 

मेरी शायरी सुन सुर्ख लाल हुए जाते है तेरी सहेलियों के गाल,
वक्फा बीत गया, हाथ ना बढ़ाया तूने, 
कोई इल्ज़ाम लगाकर, मुझ पर ऊँगली ही उठा दो, 

तेरी महफ़िल में आया हूँ तेरा मुरीद बनकर, 
तुम मुझे अपना रकीब ही बता दो, 

मेरी शायरी सुन सुर्ख लाल हुए जाते है तेरी सहेलियों के गाल, 
मेरे ज़िक्र पर तुम, थोड़ा सा तो मुस्कुरा दो, 

अब टकटकी लगाये क्या देखते हो, 
जो रौनक बन गया हूँ इस शाम की, 

गर तुम्हे भी मोहब्बत है, 
तो इन पलकों को झुका दो, 

गर तुम्हे भी मोहब्बत है, 
तो इन पलकों को झुका दो.... #पलक
#वक्फा बीत गया, हाथ ना बढ़ाया तूने,
कोई इल्ज़ाम लगाकर मुझ पर, ऊँगली ही उठा दो, 
तेरी महफ़िल में आया हूँ तेरा मुरीद बनकर, 
तुम मुझे अपना रकीब ही बता दो, 

मेरी शायरी सुन सुर्ख लाल हुए जाते है तेरी सहेलियों के गाल,