क्षणिकाएं हवा खराब है न फिंज़ा है खराब नजरियों को अपने बस सही रखिये। हृदय मे स्वच्छता मन मे हो निर्मलता प्रेम मे हो शुद्धता तब सच्चा प्रेम जानिये। मन कोमल कोमलांगी का कबहुँ न कलुषित कीजिए प्रेम सार्थक होय तभी जब हृदय शुद्ध कीजिए। ✍लक्ष्मीनरेश खुद से नासमझ न बन प्रेम की मधुरता को समझ किसी का दिल न दुखाना उसकी विवशता भी समझ। #दिल_की_आवाज़ #NightPath