मुझे कई बार बताया गया कहां रहता हूँ मैं पर मैं कभी वहां खुद से मिलने नहीं गया कहा गया कि वहाँ लगा है मुकद्दर का चेंज ओवर पर मैं जाहिल हूँ शायद कभी बदलने नहीं गया कुछ ही दूरी पे था महल बदलते किरदारों का मुडेर से दिखती थी चालाकियाँ मैं टहलने नहीं गया नशा उतर सकता था मेरे सपनों का अगर लौट जाता बहकते कदमों में बंधा मै जीत कभी संभलने नहीं गया ©Malkeet jeet फुरसत के दिन