खो ना दूं, महज़ इस डर से, कभी उसे पाया नहीं, उसे देखा, उसे चाहा, उसे महसूस किया, करीब उसके मगर, कभी आया नहीं, कितनी मोहब्बत है, कभी बताया नहीं, है दिल में क्या और क्या जुबां पर, कभी उसे समझाया नहीं, उलझ रहा था तो उलझ जाने दिया, धागा मोहब्बत का हमने सुलझाया नहीं, जिसने चाहा, उसने आजमाया, हमने किसी को मगर आजमाया नहीं, मोहब्बत की तो उसे खुदा समझा, फिर खुदा का दिल हमने दुखाया नहीं, जब भी मिला मुस्कुराकर मिला, गम अपना किसी को हमने बताया नहीं, वो जो मुझे अपना कहता था उसने अपना कहां, अपना कह कह कर भी कभी उसने अपनाया नहीं ।। खो ना दूं, महज़ इस डर से, कभी उसे पाया नहीं, उसे देखा, उसे चाहा, उसे महसूस किया, करीब उसके मगर, कभी आया नहीं, कितनी मोहब्बत है, कभी बताया नहीं, है दिल में क्या और क्या जुबां पर, कभी उसे समझाया नहीं, उलझ रहा था तो उलझ जाने दिया,