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हाथ छुड़ाकर अब तो मेरा साया भी निकला है ज़िन्दगी क

हाथ छुड़ाकर अब तो मेरा साया भी निकला है
ज़िन्दगी के आखिरी लम्हे में कौन किसका अपना है,

खुदा के कुर्बतों में बस अब मेरी रूह का बसेरा है
जिस्म को भी खाक हो मिट्टी में ही मिलना है। 👉🏻 प्रतियोगिता- 635
विषय 👉🏻 🌹"साया"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
हाथ छुड़ाकर अब तो मेरा साया भी निकला है
ज़िन्दगी के आखिरी लम्हे में कौन किसका अपना है,

खुदा के कुर्बतों में बस अब मेरी रूह का बसेरा है
जिस्म को भी खाक हो मिट्टी में ही मिलना है। 👉🏻 प्रतियोगिता- 635
विषय 👉🏻 🌹"साया"🌹
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