खोली जो किताब -ए- ज़िंदगी तो मालूम कुछ यूं हुआ बिछड़ तो गए तुम पर वजूद जुदा न हो सका।। जाने अनजाने में सोच बैठा मैं इश्क का आशियां तेरे साथ आज भी किसी कोने से तेरा निशां न मिटा।। ©Tushar Gupta #ishq kitab -e- jindgi