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ये जो तेरी आँखें हैं ना वो आँखें नहीं, गहरा समंदर

ये जो तेरी आँखें हैं ना वो आँखें नहीं, 
गहरा समंदर है जिनमें डूब जाने को जी चाहता है।
ये जो तेरे गुलाबी होंठ हैं ना वो होंठ नहीं, 
मय का प्याला हैं जिन्हें पी जाने को जी चाहता है।
ये जो तेरी घनी काली ज़ुल्फ़ें हैं ना वो ज़ुल्फ़ें नहीं हैं, 
तपती धूप में घनी छाया हैं जिसकी छाँव में सो जाने को जी चाहता है।

―अन्जाना "वो"

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ये जो तेरी आँखें हैं ना वो आँखें नहीं, 
गहरा समंदर है जिनमें डूब जाने को जी चाहता है।
ये जो तेरे गुलाबी होंठ हैं ना वो होंठ नहीं, 
मय का प्याला हैं जिन्हें पी जाने को जी चाहता है।
ये जो तेरी घनी काली ज़ुल्फ़ें हैं ना वो ज़ुल्फ़ें नहीं हैं, 
तपती धूप में घनी छाया हैं जिसकी छाँव में सो जाने को जी चाहता है।

―अन्जाना "वो"

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