निगाहें और नशा मंज़िल की इन राहों का नशा काफ़ी है, सादगी और अदाओं का नशा काफ़ी है। मुझको बोतल में डूबने की ज़रूरत नहीं, मेरे लिए नम निग़ाहों का नशा काफ़ी है। मुहब्बत के इशारों पर झूम जाने के लिए, बस तेरी चंद वफाओं का नशा काफ़ी है। लग कर गले मैं तेरी आंखों में डूब जाऊं, ज़रा संभलने को बाहों का नशा काफ़ी है। उल्फत की वफ़ा गर चाहे आबाद कर ले, बर्बादियों को खताओं का नशा काफ़ी है। मचलते रह जाएं हम जो तुम उदास बैठो रुलाने के लिए आंहों का नशा काफ़ी है।। ✍️"हुड्डन"🙏 #नम_निगाहें_नशा