Nojoto: Largest Storytelling Platform

गांन नहीं सुर-ताल नहीं में फिर भी गांना चाहता हूं।

गांन नहीं सुर-ताल नहीं में फिर भी गांना चाहता हूं।
बेशक तेल चुके दीपक का भल्ले जले बाती की रस्सी।
में अंतिम कण रक्त का तन से ये दिप जलाना चाहता हूं।
इस मातृभूमि की बलीवेदी शिश चढ़ाना चाहता हूं।।
गांन नहीं सुर-ताल नहीं में फिर भी गांना चाहता हूं ।

©Vikash Arya
  #मातृभूमि