यूँ तन्हा अकेला गुज़रता रहा ज़िन्दगी... न कहीं भीड़ था, ना कहीं अकेला चला... परछाई के साये में गुजरता रहा ज़िन्दगी,,, यूँ तन्हा अकेला गुज़रता रहा ज़िन्दगी... मुफ़लिसी में मयस्सर हो गया मेहमां... आव -ऎ -आईना की जुस्तजू में, कारवाँ गुजार गया मेहमां... मन्नत -ऎ -फरियाद अर्श तक पहुंचा,, खिंजा कि शाम में,, गुलशन गुजार गया मेहमां....! यूँ तन्हा अकेला गुज़रता रहा ज़िन्दगी... न कहीं भीड़ था, ना कहीं अकेला चला... परछाई के साये में गुजरता रहा ज़िन्दगी,,, यूँ तन्हा अकेला गुज़रता रहा ज़िन्दगी...