सूरज को भी रोशनी दे ऐसा उजाला था मुगलों के लिए काफी जिसका भाला था । स्वामिभक्त के खातिर अकबर से समर किया तलवारों ने जिसकी हल्दीघाटी को अमर किया । मेवाड़ की आन पे मर मिटा वो परवाना था वीर क्षत्रिय चेतक सवार वो ही महाराणा था । ©maher singaniya महाराणा प्रताप