घूंघट में चाँद जी चाहता है कि प्यार की दरिया में बह जाऊ बन कर समंदर प्यार की दरिया को गले लगाऊ मचल रहा हैं जी, शांत धारा में बहता जाऊ इस प्यार की आखिरी कहानी को लिखता जाऊ ऐ समंदर, तेरी पनाह मे रहने को जी चाहता है आज कल, ऐ हमसफ़र आखिरी गीत अपने इस प्यार को अब गाता चल | आखिरी गीत अपने इस प्यार को गाता चल शिवम तिवारी (शिव नंदन) OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)