ना जाने क्यों लगा मुझको मेरी हर साँस तुमसे है खुशी का साज़ तुमसे है! न जाने क्यों लगा मुझको मैं तुम बिन जी न पाऊंगी गिरूंगी लङखङाउंगी, मुसीबत की सभी जंगे मै तुम बिन हार जाउंगी, ये सच है, तुम मेरी चाहत ये सच है, तुम मेरी आदत, मगर मैं सोचती थी जो कि तुम बिन कुछ नहीं हूं मै, मेरी नादां ख्याली थी, वो सोंचो की ग़ुलामी थी! किसी का साथ पा लेना महज़ इस दिल का धोका है । इन्हीं बातों ने अक्सर रास्ता चलने से रोका है! जो गिर के खुद ही संभला है, जो तन्हा मुस्कुराया है, जो अपने दर्द में हंस कर के नगमा गुनगुनाया है! यहां हर जीत उसकी है जिसे खुद पर भरोसा है ! मुझे खुद पर यक़ी है अब मेरी हर आस मुझसे है! न जाने क्यों लगा मुझको मेरी हर सांस तुमसे है। न जाने क्यों