नदियां,पहाड़,सागर,इंसान और देवों को भी है इसने पाला, हमारी मातृभूमि का कण-कण है, बहुत निराला। सूरज बहुत है दिलवाला,अपना फर्ज उसने है संभाला अम्बर मे वीर सा डटा खडा,सबका है वो रखवाला। हमारी मातृभूमि का कण-कण है, बहुत निराला