एक लड़का था जिसने एक मंच पर कुछ क्षण पाने के लिए, बिताने के लिए अपनी समझ, अपनी आवाज, अपने विचार सुनाने के लिए, अपने घर-आँगन के हालात जताने के लिए, फांसी से कीमत अदा की। एक युवक था, जो असहमत था, जिसे लगा कि उसमें वो बात है, वो लड़ेगा सबकी लड़ाई, अपने हाथ कि बुरे हालात हैं, उसे सिर्फ उस पेड़ का साया मिला, जिसने उसपर आती कुछ गोलियां सहीं, पेड़ स्थिर था, इंसान चलंत, बस इतनी ही युवक की कहानी रही। आगे कुछ लोगों ने पन्नों पे लिखा, 'ये अपराधी थे।' कुछ सालों बाद फिर पन्नों पे उनका नाम और मुकाम उभरा, अब वो 'असहमत' कहलाये। फिर सालों बाद किसी ने गीत गाये उनके नाम के, अब वो 'क्रांतिकारी' कहाए। लोग क्रूरता भूले, क्रांति भूले, लोग दमन भूले, लोग भ्रांति भूले, आज़ाद देश में कुम्हाले वाले फूल खिले बस यही उनकी तस्वीरों को मिले! क्रांतिवीर 1