हम दूसरों के दिखाए राह पे चलने वाले कहाँ खु़द का अलग रास्ता हो जिसपे चले ये जहाँ अभी तो इब्तिदा-ए-सफ़र ही मुकम्मल किया है अभी बाकी हैं हासिल करना ख़्वाबों का कारवाँ मिट्टी से मिल चुके,अब काँटों से मिल हैं रहे ठोकरें मिलेगी,मिलेगा कामयाबी का आसमाँ न थकना ,न रूकना है बस चलते जाना है हौसलों की उड़ान भर लिखेगे नयी दास्ताँ चलो"राही" दौड़ते दौड़ते तुम्हें उड़ते जाना है आख़िरी मंजिल पर हो तुम्हारे क़दमों के निशाँ ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।