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इन्सान भौतिक सुख सुविधा मे इतना मग्न है कि खून के

इन्सान भौतिक सुख सुविधा मे इतना मग्न है
कि
खून के रिश्ते
आत्मा के बने रिश्तों को भी भूल रहा है
दौलत जीत रही है
रिश्तें हार रहे है
कलयुग मे पैसा ही रिश्तों को खत्म कर रहा है

©Himshree verma
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