" चल इश्क ये मंज़ूर किया जाये ,
दुश्वारियों का दौर हैं उन्हें मुहब्बत बेइन्तहा किया जाये ,
चल तुझे मेरे मयस्सर में जार - बेजार किया जाये ,
तु ही एक शक्श मेरी खामोशियों में बदस्तूर शामिल हैं . "
--- रबिन्द्र राम
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