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सुगंधित पुष्प को उखाड़, इंद्रियों की तृप्ति करना ज

सुगंधित पुष्प को उखाड़, इंद्रियों की तृप्ति करना ज्यों मुरझा जाए फेंक
आगे बढ़ जाना इंद्रियों के इंद्रजाल में फंसा हुआ तड़प रहा ये चाहत का मारा"

बिछड़ने पर वो अपनी और दूसरों की जिंदगी को आज़ाब नहीं बनाता
अपनी इंद्री तृप्ति के लिए फूलों को नहीं तोड़ता, महकते रहे वो इस लिए
स्वतंत्र छोड़ आगे बढ़ जाता"

©edge of writing pyar or chahaat शायरी हिंदी
सुगंधित पुष्प को उखाड़, इंद्रियों की तृप्ति करना ज्यों मुरझा जाए फेंक
आगे बढ़ जाना इंद्रियों के इंद्रजाल में फंसा हुआ तड़प रहा ये चाहत का मारा"

बिछड़ने पर वो अपनी और दूसरों की जिंदगी को आज़ाब नहीं बनाता
अपनी इंद्री तृप्ति के लिए फूलों को नहीं तोड़ता, महकते रहे वो इस लिए
स्वतंत्र छोड़ आगे बढ़ जाता"

©edge of writing pyar or chahaat शायरी हिंदी