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मैं लेके हाथ मे बैठा हूं फिर क़लम कागज़ ना जाने को

मैं लेके हाथ मे बैठा हूं फिर क़लम कागज़
ना जाने कोन है पर याद आ रहा है बहुत, 


के आज कल तो ये साया भी है मिरा दुश्मन
तेरे बगैर ये मुझको डरा रहा है बहुत... 


                                              समर मंगलोरी Samar shayri #sadshayribysamar
मैं लेके हाथ मे बैठा हूं फिर क़लम कागज़
ना जाने कोन है पर याद आ रहा है बहुत, 


के आज कल तो ये साया भी है मिरा दुश्मन
तेरे बगैर ये मुझको डरा रहा है बहुत... 


                                              समर मंगलोरी Samar shayri #sadshayribysamar
umairsamar2325

umair samar

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