रक्त रंजित हुई मेरी वाणी थी जब याद आई मुझे वो कहानी थी जिसमे लहू तो बहा भारत का लेकिन क़ीमत कुछ और चुकानी थी बहा कर खून-पसीना एक माँ कि जान बचानी थी एक माँ कि जान के चक्कर में, दूजी की विलख सुहानी थी मैं वीर कहू भारत का,या उस जननी का लाल जिस जननी ने कोख से जनकर सरहद को भेजा हाल क्या ऐसी भी भारत की जननी , जिनकी जिंदादिली कहानी थी नतमस्तक करू ऐसी जननी को, जो उस वीर को जनने वाली थी रक्त रंजित हुई मेरी वाणी थी ©Satwik mishra #IndianArmy ऋतेष #nojoto2021newpoem #जननी_धरती #वीर_जवान