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नज़र आती है, सुबह की उजली किरण आज कुछ, कम उजली लग

नज़र आती है,
सुबह की उजली किरण आज कुछ, 
कम उजली लगती है;
मानो जैसे सूरज की किरणें, 
बिजली के तार सी एक एक कट रही हों;
मग़र, फ़िर भी धूप थोड़ी ताज़ी नज़र आती है, 
जैसे किसी ने सूरज को, सर्द में नहलाया हो;

जो दिन गहराता जाए तो, दिल तुम्हारी ओर खिंच जाता है;
मानो साँझ के चाँद का चुंबकीय बल, इन यादों पर असर कर रहा है;
जो साँझ ढलने का वक़्त आया, 
मुआयना छत का किया गया;
रात अनोखी, काली ऐसी,
गहरे सन्नाटे में घने जंगल जैसी;
तारों की बारात, यूँ तो दिखनी मुश्किल है 
बिना दूरबीन के;
मग़र जो दिखे दो चार, 
मानो टिमटिमाना भूल गयें हैं,
जैसे किरणों के बिस्तर पर अलसाने में,
रात की सुध लेना ही भूल गए हैं;
चांद तो हंसिये सा नज़र आता है यूँ, 
मानो इसका हार बना, तुम्हारे लिए ख़ुद को संवार लूँ;
कुछ ग्रह नज़र आए तो लगता है जैसे,
दूसरी दुनिया से मेल जोल हो रहा है;
कभी लगता है मानो, 
हम सौरमंडल में पकड़म पकड़ाई खेल रहे हों;
अद्भुत हो वो नज़ारा जो हम नज़र भर,
इस नए अंदाज़ में ब्रह्मांड को देख लें!

Without नीना झा
#संजोगिनी

©Neena Jha
  #sparsh #Neverendingoverthinking
#नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी


जय माँ शारदे 🙏


नज़र आती है,