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सफ़ीने को जो उसकी, इक दरिया ने डुबोया था, समंदर को

सफ़ीने को जो उसकी, इक दरिया ने डुबोया था,
समंदर को वो माझी आज, सुन  सहरा बनाएगा। लहरों ध्यान से सुन लो। टकराना मत उससे। उखाड़ फेंकेगा वो।

© इकराश़

**बनती ग़ज़ल का एक शेर है। बहुत ख़ास है ये मेरे लिए। बहुत जल्द पूरी ग़ज़ल ले कर हाज़िर होऊंगा आप सबके जानिब।

*सफ़ीना - नाँव/Boat
* माझी - नाँव खेने वाला/ खेंवैया
सफ़ीने को जो उसकी, इक दरिया ने डुबोया था,
समंदर को वो माझी आज, सुन  सहरा बनाएगा। लहरों ध्यान से सुन लो। टकराना मत उससे। उखाड़ फेंकेगा वो।

© इकराश़

**बनती ग़ज़ल का एक शेर है। बहुत ख़ास है ये मेरे लिए। बहुत जल्द पूरी ग़ज़ल ले कर हाज़िर होऊंगा आप सबके जानिब।

*सफ़ीना - नाँव/Boat
* माझी - नाँव खेने वाला/ खेंवैया