कड़वी किन्तु सच्ची बातें -------------------------------------------------- अनुशासन हो या कोई व्याधि,अगर उसे समय रहते ठीक ना किया गया। तो वह ठीक उसी तरह से, जिस तरह से रोग का समय रहते उपचार न करने पर प्राणहान्तक बन प्राण लेता है।अनुशासन हीनता भी मनुष्य के व्यक्तित्व को उसी तरह धीरे-धीरे नष्ट कर देता है। अमर'अरमान' achchi kintu sachchi bate