छोर के हि तो गई थी वो मुझे कौन सा उसने शंगिन ज़ुर्म कर दिया था अकेला था जब मै,तुम सब कहा थे जो उस वक़्त उसने सहारा दिया था अपना अपना केहते हो क्या अपनापन निभाया था जेब मेरी खाली थी,उस वक़्त साथ उसी ने निभाया था बुरे वक़्त से गुज़र रहा था जब मैं उस वक़्त सिर्फ उसी ने हाथ मेरा थामा था मेरे अभीमान को ऊँचा रख उसने खुद को अपनो कि नज़र मे गिराया था वो क्या थी मेरे लिए इस दुनिया मे ये बात उस वक़्त खुदा ने मुझको बतलाया था. जो सोचना हैं सोचो,तुम्हारी सोच तो नहीं बदल सकता मगर मेरा दिल जानता है,मेरा होना उसके लिए क्या था -vikash_my word📝 छोर के हि तो गई थी वो मुझे कौन सा उसने शंगिन ज़ुर्म कर दिया था अकेला था जब मै,तुम सब कहा थे जो उस वक़्त उसने सहारा दिया था अपना अपना केहते हो क्या अपनापन निभाया था जेब मेरी खाली थी,उस वक़्त साथ उसी ने निभाया था