पहले बनी एक बेटी में बाबुल , फिर बनी तेरी राजकुमारी , मां के आंचल और तेरे आंगन से शुरू हुई मेरी जिंदगी की ये कहानी, जन्म हुआ मेरा तो बनी में तेरी दुलारी , बढ़ने लगी जब आंगन में तेरे तो होने लगी फिर मेरी शादी की तैयारी, डोली उठी तेरे आंगन से मेरी और, एक घर से दूसरे घर चल पड़ीं में बनकर बहुरानी , बन गई में अपने पति कि अर्धांगिनी ,तब हुआ सफर शुरू मेरा और बन गईं में कन्या से एक नारी , कुछ ही पलों में बदल गईं मेरी दुनिया ही सारी की सारी खुद का ख्याल रखने वाली,निभाने लगी एक पूरे परिवार की जिम्मेदारी, वक्त बिता ,बीती घड़ियां , अाई घर में खुशखबरी पहले बेटी ,फिर बहू और पत्नी फिर में एक मां बनी । हुआ संपूर्ण जीवन मेरा बनी में एक सम्पूर्ण नारी । सालो बीते ,बिता वक्त फिर शुरू हुई एक नई पारी बेटी ,बहू,,पत्नी और मां थी पहले फिर अाई सास बनने की बारी । बहू बनी ,बेटी को मैने अपनी परछाई मान लिया , एक बहू को भी मैने अपनी बेटी सा मान दिया, वक्त का पहिया जब घूमा फिर बनी में दादी , लौटा बचपन फिर मेरा अाई बारी, फिर मेरी बच्चो संग करने की शैतानी , वक्त बिता ,खुशियों के साथ मेरा , अाई फिर दुनिया से मेरी अलविदा कहने की बारी में हंसते हंसते खो गई कभी ना उतने वाली नींद में सो गई, हो गई विलीन आत्मा ये मेरी उस पवित्र अग्नि में जिसके समक्ष मैने अपने पति संग फेरे लिए थे , जल रही थी में अग्नि में और मेरे सारे अपने मुझे घेरे हुए थे । में बचपन से लेकर अपने अंत तक मुस्कुरा रही थी में अपनी सारी वेदना और सारी संवेदनाओं को अपने साथ समेट के ले जा रही थी । में अपनी ही बसाई दुनिया को छोड़कर जा रही थी । मेरे जीवन मे लिखी गई जब ईश्वर द्वारा मेरी मृत्यु की कहानी , समाप्त हो गई तब मेरे साथ मेरे अंदर की एक नारी कि कहानी । । #OpenPoetry एक स्त्री के पूरे जीवन की कहानी ।