उसने कहा - 'डूबोगे' जहां से भी देखा मैं मुझे डूबा हुआ ही दिखा दुबारा कैसे डूबते हैं? नहीं मालूम बस डूबना आता था ; सो डूबा मैं उसके प्रेम की हर डुबकी में डूब जाना चाहता हूं मुझे चूमना है उसके अंतरतम की गहराई प्रिय! मुझे आशीष दो डूबने का कि प्रेम में डूबा हुआ ही पार होता है. .................... शुभ्रा #सनक_डूबने_का